लेखनी कविता -अनगिनत ख्वाब
अनगिनत ख्वाब, मेरी पलकों पर उतर आए हैं, जिनमें मैंने, जीवन के, सुनहरे पल सजाए हैं,
सपनों को मालूम होगा, कि पूरा उन्हें, मैं कर पाऊंगी, देर ही सही, धीरे धीरे, मगर, उन तक पहुंच ही जाऊंगी,
देखा होगा उन्होंने, मेरे हौंसले को, ना रुकने,ना थमने के ज़ज़्बे को, तभी चुपके से पलते हैं, मेरी पलकों तले, जानते होंगे ही, कि एक दिन, हकीकत बन जायेंगे वो।।
!! प्रियंका वर्मा !!